Apple cultivation in the plains Land: देश के मैदानी क्षेत्रों में सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (IARI) ने कुछ विशेष प्रजातियों का परीक्षण किया है, जो गर्म जलवायु में अच्छे परिणाम देती हैं। पहले, यह माना जाता था कि सेब की खेती केवल ठंडी जलवायु वाले इलाकों में ही संभव है, लेकिन अब यह साबित हो चुका है कि उपोष्ण जलवायु में भी सेब की खेती की जा सकती है। इस अध्ययन ने किसानों को नए अवसर प्रदान किए हैं, जो अब इस फसल के माध्यम से अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
कम ठंड वाले क्षेत्रों के लिए सेब की प्रजातियां
IARI द्वारा सेब की कुछ विशेष प्रजातियों का चयन किया गया है, जिनमें कम ठंड की आवश्यकता वाली हैं। इनमें प्रमुख प्रजातियां शामिल हैं:
अन्ना (Anna apple Verity)
डॉर्सेट गोल्डन (Dorsett Golden)
एचआर एमएन-99 (HRMN-99)
इन शेमर (Ein Shemer apples)
माइकल (Michal apple Verity)
बेबर्ली हिल्स (Beverly Hills)
पार्लिन्स ब्यूटी (Parlin’s Beauty)
ट्रापिकल ब्यूटी (Tropical Beauty)
तम्मा (Tamma)
सेब की इन प्रजातियों को विशेष रूप से गर्म जलवायु में उगाया जा सकता है और ये अच्छी उपज देती हैं।
अन्ना प्रजाति: गर्म जलवायु के लिए उपयुक्त
अन्ना सेब की प्रजाति गर्म जलवायु में तेजी से विकसित होती है और जल्दी पककर तैयार हो जाती है। इसके फल जून महीने में परिपक्व हो जाते हैं, जो पीले रंग पर लाली के साथ दिखाई देते हैं। यह प्रजाति कम ठंडे इलाकों में भी अच्छे परिणाम देती है। हालांकि, अन्ना सेब सेल्फ स्टेराइल है, यानी इसके फलने के लिए एक परागण दाता की आवश्यकता होती है। इसके लिए डॉर्सेट गोल्डन को परागण दाता के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
डॉर्सेट गोल्डन: परागण के लिए उपयुक्त
सेब की डॉर्सेट गोल्डन प्रजाति भी गर्म जलवायु के लिए उपयुक्त है और इसमें 250-300 घंटों की शीतलन की आवश्यकता होती है। अन्ना प्रजाति की अच्छी बागवानी के लिए बाग में 20 प्रतिशत डॉर्सेट गोल्डन के पौधे लगाने से परागण में मदद मिलती है और इससे पूरे बाग में अच्छे परिणाम आते हैं।
Preparation for planting apple seedlings: पौध रोपण की तैयारी
सेब की बागवानी (apple orcharding) के लिए सही पौधों को चुनना और बागवानी की तैयारी महत्वपूर्ण है। किसान को सरकारी या मान्यता प्राप्त पौधशालाओं से पौधे प्राप्त करना चाहिए। मिट्टी का पी-एच मान 6-7 होना चाहिए और इसमें जलजमाव नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, सेब के पौधों को प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे सूरज की रोशनी की आवश्यकता होती है।
Apple plant growth and flowering: पादप वृद्धि और पुष्पन
सेब के पौधों में शीत ऋतु के दौरान पत्तियों का गिरना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे पौधे शीतलन (कूलिंग) के लिए तैयार होते हैं और अगले मौसम में अच्छे पुष्पन (flowering) के लिए मदद मिलती है। नवम्बर से जनवरी तक पौधों के 60 प्रतिशत पत्ते गिर जाते हैं, जो प्राकृतिक रूप से पौधों को अगले मौसम के लिए तैयार करते हैं।
Pest and disease control in apple farming: सेब में कीट और रोग नियंत्रण
सेब के पौधों में अगस्त-सितम्बर के दौरान हेयर कैटरपिलर का प्रकोप हो सकता है। इससे बचने के लिए डाइमेथोएट का छिड़काव 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर करना चाहिए। जुलाई महीने में बरसात के साथ फलों में सड़न की समस्या भी हो सकती है, जिसके लिए फफूंदीनाशक जैसे कार्वेन्डाजिम या थियोफेनेट मिथाइल का 0.1 प्रतिशत की दर से छिड़काव किया जा सकता है।

मैदानी क्षेत्रों में सेब की खेती के लिए कम ठंड की आवश्यकता वाली प्रजातियों का चयन किसानों के लिए एक शानदार अवसर है। सही प्रजाति का चयन, उचित देखभाल और कीट नियंत्रण से किसानों को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। यह अध्ययन भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों की आय बढ़ाने के नए रास्ते खोल सकता है।
(Source: भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ)