the Hindu succession law : हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) से जुड़े कानून सिर्फ हिंदुओं पर ही नहीं, बल्कि सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और यहूदी धर्मों पर भी लागू होते हैं। HUF का निर्माण चार पीढ़ियों तक की संपत्ति के लिए होता है। इसमें दो प्रमुख अंग होते हैं – कोपर्सनर और प्योर मेंबर। इनके बीच का अंतर ही तय करता है कि संपत्ति में हिस्से की मांग कौन कर सकता है और कौन नहीं।
the Hindu succession law : कोपर्सनर और प्योर मेंबर: संपत्ति के अधिकार में अंतर
कोपर्सनर | प्योर मेंबर |
परिवार में जन्म से जुड़े सदस्य | विवाह के माध्यम से जुड़े सदस्य |
संपत्ति में हिस्से की मांग कर सकते हैं | संपत्ति में हिस्से की मांग नहीं कर सकते |
बेटी शादी के बाद भी कोपर्सनर होती है | बेटे की पत्नी कोपर्सनर नहीं होती |
कोपर्सनर का दर्जा उन सभी सदस्यों को प्राप्त होता है जो परिवार में जन्म लेते हैं। इसमें बेटियों को भी 2005 के संशोधन के बाद समान अधिकार मिले हैं। बेटी विवाह के बाद भी अपने पिता के परिवार की कोपर्सनर बनी रहती है। वहीं, परिवार में गोद लिया गया बच्चा भी कोपर्सनर माना जाता है। दूसरी ओर, प्योर मेंबर जैसे बेटे की पत्नी, परिवार में विवाह के जरिए जुड़ती है और उन्हें कोपर्सनर का दर्जा नहीं मिलता। इसलिए वह संपत्ति के बंटवारे की मांग नहीं कर सकतीं।
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कौन सा सदस्य कर सकता है संपत्ति की मांग ?
विशेषज्ञों के अनुसार HUF में संपत्ति की मांग सिर्फ कोपर्सनर ( co-person ) ही कर सकता है। विधवा महिला, जो कोपर्सनर नहीं होती, वह संपत्ति के बंटवारे की मांग नहीं कर सकती। हालांकि, उसकी संतान बालिग होने पर यह मांग कर सकती है।
HUF : एचयूएफ का निर्माण कैसे होता है ?
एचयूएफ का निर्माण सामान्यत: परिवार में होता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में पति-पत्नी भी इसे बना सकते हैं। खासतौर से जब पुश्तैनी संपत्ति का सवाल हो, तो दोनों मिलकर अपनी एचयूएफ बना सकते हैं।
Hindu Utradhikar : संपत्ति के अधिकार में कोपर्सनर और प्योर मेंबर के बीच का अंतर जानना बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल संपत्ति के बंटवारे में भूमिका निभाता है, बल्कि परिवार के सदस्यों के अधिकारों को भी स्पष्ट करता है।