Unemployed Heart Attacking : बेरोजगारी बनेगी दिल के दौरे का सबसे बड़ा कारण, सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई, युवा बेरोजगारों में दिल की बीमारियों का सबसे ज्यादा खतरा

Unemployed Heart Attacking : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और दिल्ली एम्स द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में खुलासा हुआ है कि अगले 10 सालों में देश की 15% आबादी को दिल की बीमारियों (Cardiovascular Diseases – CVD) का खतरा होगा। यह शोध इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किया गया है, जिसमें पहली बार गैर-प्रयोगशाला जोखिम चार्ट का उपयोग कर सीवीडी का सटीक अनुमान लगाया गया है। इस अध्ययन में विशेष रूप से युवा बेरोजगारों में दिल की बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा पाया गया है।

Unemployment will become the biggest cause of heart attack, shocking truth revealed, unemployed youth are at highest risk of heart diseases.
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अध्ययन में बेरोजगारों का उच्च जोखिम, कामकाजी लोग भी जोखिम में :

अध्ययन के आंकड़ों के मुताबिक, कुल जनसंख्या में हृदय रोगों का जोखिम तीन श्रेणियों में बांटा गया है: बहुत कम, मध्यम और उच्च जोखिम। इसमें 84.9% लोगों में जोखिम बेहद कम पाया गया, जबकि 14.4% लोग मध्यम और 0.7% लोग उच्च जोखिम में पाए गए। अध्ययन में शामिल 348 बेरोजगारों में से 4.5% में अगले 10 सालों में दिल का दौरा पड़ने का गंभीर खतरा पाया गया है। वहीं, कामकाजी लोगों में करीब 12% लोगों में यह जोखिम मध्यम श्रेणी का पाया गया है। यह आंकड़ा बताता है कि बेरोजगारी न केवल आर्थिक और मानसिक तनाव का कारण बन रही है, बल्कि यह हृदय स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

कोविड-19 के बाद बढ़ा स्वास्थ्य जोखिम :

कोविड-19 महामारी के बाद से विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ा है, जिसमें हृदय रोग प्रमुख हैं। इस महामारी ने न केवल लोगों की इम्युनिटी को कमजोर किया है, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप, लोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, जो हृदय रोगों का प्रमुख कारण बनते हैं। बेरोजगारी और अस्थिर रोजगार भी तनाव को बढ़ाते हैं, जिससे हृदय रोगों का खतरा अधिक हो जाता है।

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गैर-प्रयोगशाला जोखिम चार्ट: कैसे पता चला CVD का खतरा?

ICMR द्वारा विकसित गैर-प्रयोगशाला जोखिम चार्ट का उपयोग करते हुए यह अध्ययन किया गया। इस चार्ट का उद्देश्य ऐसे लोगों की पहचान करना था जो भविष्य में हृदय रोगों के शिकार हो सकते हैं। इसमें व्यक्ति की उम्र, रक्तचाप, धूम्रपान की आदतें, मधुमेह का इतिहास और शारीरिक गतिविधि जैसे कारकों को शामिल किया गया। बिना किसी महंगे या जटिल परीक्षण के, इस चार्ट के जरिए बड़ी संख्या में लोगों की हृदय स्वास्थ्य की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।

 

कैसे बचें हृदय रोगों से ?

विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना बेहद जरूरी है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और योग, धूम्रपान और शराब से परहेज, और तनाव को नियंत्रित करने के उपाय अपनाने से दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है। फास्ट फूड और तैलीय भोजन से दूरी बनाकर और प्राकृतिक एवं सादा भोजन अपनाकर आप अपनी इम्युनिटी को मजबूत कर सकते हैं।

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बेरोजगारी और स्वास्थ्य: एक अनदेखा संबंध

इस अध्ययन से स्पष्ट है कि बेरोजगारी केवल आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर चुनौती बन रही है। बेरोजगारी के कारण बढ़ता मानसिक तनाव और असंतुलित जीवनशैली दिल के दौरे जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ा रहे हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ बेरोजगारी को सामाजिक और स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से गंभीर मुद्दा मानते हैं।

आईसीएमआर और एम्स द्वारा किए गए इस अध्ययन ने भविष्य में दिल की बीमारियों के बढ़ते खतरे पर रोशनी डाली है। खासकर बेरोजगार युवाओं में यह समस्या गंभीर रूप से उभर सकती है। सरकार और समाज को मिलकर ऐसे उपाय करने होंगे, जिससे लोगों को रोजगार मिले और उनकी जीवनशैली स्वस्थ हो। साथ ही, लोगों को भी अपनी सेहत के प्रति जागरूक होना पड़ेगा, ताकि वे आने वाले समय में इस खतरे से बच सकें।

यह अध्ययन देश के स्वास्थ्य और सामाजिक व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है। अगर समय रहते सही कदम उठाए गए, तो लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

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