chandrayaan-4 mission: भारत फिर चला चंद्रमा की ओर ! चंद्रमा से नमूने लाने की तैयारी, चंद्रयान- 4 मिशन को मिली कैबिनेट की मंजूरी

Anita Khatkar
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chandrayaan-4 mission: भारत के अंतरिक्ष अभियान में एक और बड़ा कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चंद्रयान-4 मिशन (chandrayaan-4 mission) को मंजूरी दे दी है। यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा से नमूने लाकर उन्हें पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लाना और इससे संबंधित technology का प्रदर्शन करना है।

चंद्रयान-4, ISRO द्वारा तैयार किए गए चंद्रयान-1, 2 और 3 मिशनों की श्रृंखला का अगला महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें भारत अब चंद्रमा से पृथ्वी पर लौटने की क्षमता विकसित करेगा। यह मिशन chandrayaan-3 की सफलता के बाद भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को और आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है, जिसका सीधा लक्ष्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र करना और उन्हें सुरक्षित रूप से वापस पृथ्वी पर लाना है।

chandrayaan-4 mission: मिशन का उद्देश्य और महत्व

चंद्रयान-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य उन प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है जो चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने और पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लौटने के लिए आवश्यक हैं। इसमें Docking/अनडॉकिंग, Landing, Moon से नमूने इकट्ठा करना और उनकी पृथ्वी पर वापसी शामिल है। यह मिशन, वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर मानव लैंडिंग के लिए भारत की तैयारियों को मजबूत करेगा और भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों की नींव रखेगा।

भारत सरकार ने वर्ष 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Indian space station) स्थापित करने और वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर मानव लैंडिंग की योजना बनाई है। chandrayaan-4 mission उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन न केवल भारत की चंद्र अन्वेषण क्षमता को सशक्त करेगा, बल्कि देश को अंतरिक्ष तकनीक में वैश्विक स्तर पर और मजबूती प्रदान करेगा।

chandrayaan-4 mission: तकनीकी विकास और make in India की भागीदारी

इस मिशन की सबसे खास बात यह है कि इसमें प्रयोग की जाने वाली सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा। इसरो के नेतृत्व में अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण की जिम्मेदारी होगी, जबकि भारतीय उद्योग और शिक्षाविदों की अहम भागीदारी से इसे और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। मिशन को 36 महीनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें इसरो की स्थापित कार्यप्रणालियों के माध्यम से इसे प्रबंधित और मॉनिटर किया जाएगा।

chandrayaan-4 mission को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए कुल 2104.06 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जिसमें अंतरिक्ष यान का निर्माण, LMV-3 Launch Vehicle मिशन, गहन अंतरिक्ष नेटवर्क और डिजाइन के लिए विशेष परीक्षण आयोजित करना शामिल है। इस मिशन से न केवल भारत की अंतरिक्ष तकनीक में बढ़ोतरी होगी, बल्कि अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

chandrayaan-4 mission: वैज्ञानिक विश्लेषण और भविष्य की संभावनाएं

chandrayaan-4 mission के तहत चंद्रमा के नमूने एकत्र कर उन्हें पृथ्वी पर लाया जाएगा, जिससे उनके वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए नए दरवाजे खुलेंगे। इन नमूनों से भारत की वैज्ञानिक समझ में बढ़ोतरी होगी, जो न केवल राष्ट्रीय संपत्ति होंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे। इसके साथ ही, चंद्रमा से प्राप्त नमूनों के विश्लेषण के लिए बेहतर वैज्ञानिक सुविधाओं का निर्माण भी सुनिश्चित किया जाएगा।

यह मिशन भारत को चंद्रमा से नमूने वापस लाने वाले देशों की श्रेणी में खड़ा करेगा और भविष्य में अंतरिक्ष में खोज की नई संभावनाओं को खोलेगा। chandrayaan-4 mission के सफल होने के साथ, भारत चंद्र अन्वेषण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाएगा। ISRO और भारतीय उद्योग की साझेदारी से इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने की उम्मीद की जा रही है, जो भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

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