1 jan 2025 : नववर्ष पर कई परिवारों के लिए खुशियां लेकर आया और उनके घरों में (new year baby born) बच्चों में किलकारियां गूंजी। जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में नर्व वर्ष पर 11 डिलीवरी हुई। जिसमें छह बच्चे कन्या तथा पांच बच्चे लड़के पैदा हुए। जिन परिवारों में बेटी का जन्म हुआ, उन्हें लोगों ने लक्ष्मी का रूप मान कर स्वागत किया। नागरिक अस्पताल में नववर्ष 2025 का आगाज नवजन्मे बच्चों की किलकारियों से हुआ तथा स्वास्थ्य अधिकारियों तथा स्वास्थ्यकर्मियों ने इन बच्चों को हाथोंहाथ लिया।
हर कोई इन बच्चों को उठा कर और गोद में लेकर खुशी महसूस कर रहा था। बच्चों से संबंधित परिवारों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों में भी खुशी का वातावरण व्याप्त हो गया। हर तरफ नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ-साथ बधाइयां देने की आवाज भी सुनाई देने लगी। डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला, डा. मंजू सिंगला के अनुसार नववर्ष पर जन्म लेने वाले सभी बच्चे और उनके अभिभावकों से मुलाकात की और स्वास्थ्य को जांचने का काम किया।

मेरे घर लक्ष्मी का आगमन हुआ : रेणू
नव वर्ष पर मां बनी रेणू ने बताया कि उसने अल सुबह एक बेटी को जन्म दिया। भगवान की कृपा से आज मेरे घर लक्ष्मी रूपा कन्या का जन्म हुआ है। वो अपनी बच्ची की परवरिश के लिए दिनरात एक करेंगी। जो अभिभावक रूढ़ीवादी सोच के चलते बेटे को वंश का प्रतीक मानते है वो उनकी सोच गलत है। आज बेटी भी वंश का प्रतीक बन रही है। बदल रहे समय के साथ-साथ लोगों को अपनी सोच भी बदलनी होगी। बेटी आज बेटों से किसी क्षेत्र में पीछे नही है।
खेल, शिक्षा, नौकरी, बिजनेस में भी बेटियां आज बेटों को मात दे रही हंै तो क्यों बेटा-बेटी में फर्क लोग रूढ़ीवादी सोच के चलते समझ रहे हैं। इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि बेटियों को बोझ नहीं समझना चाहिए। क्योंकि बेटी तो मां दुर्गा, लक्ष्मी का रूप है। जिस समाज, देश में बेटियों का सम्मान नहीं होता है वह समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता है।
वहीं जींद निवासी सुनीता कुमारी ने बताया कि उनके घर एक बेटे ने दोपहर को जन्म लिया। उनके परिवार में पहले एक बेटी थी। नववर्ष पर बेटा होने पर उनका परिवार मुकम्मल हुआ। भगवान मेरे दोनों बच्चों को अच्छी सेहत तथा लंबी आयु प्रदान करें।

लड़का और लड़की को एकसाथ आगे बढऩे के अवसर दें : डा. सदफ
नागरिक अस्पताल की महिला चिकित्सक डा. सदफ ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या न करने को लेकर हम सबको जागरूक होना चााहिए। हमें यह समझना होगा कि लड़की और लड़के के बीच में र्काई फर्क नही समझना है। लड़का और लड़की को एकसाथ आगे बढऩे के लिए अवसर देने हैं।
कन्या की शिक्षा पर ज्यादा फोक्स देने की जरूरत है। जब कन्या शिक्षित होगी तो कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामले आने स्वत: बंद हो जाएंगे। लड़कियों को गर्भ में न मारें बल्कि उन्हें लड़के की तरह ही प्यार करें।
अभिभावक लड़का और लड़की में कोई फर्क न करें : डा. मंजू सिंगला
डा. मंजू सिंगला ने कहा कि अबतक कुल 10 डिलीवरी हुई हैं और पांच नोर्मल और पांच सिजेरियन हुई हैं। अब भी कई डिलीवरी पेंडिंग हैं। डा. मंजू ने कहा कि लड़का ओर लड़की में कोई फर्क न करें। लड़का ओर लड़की दोनों एक समान हैं। लड़का जहां एक कुल का दीपक होता है वहीं लड़कियां दो कुल की दीपक होती हैं। लड़कियों को भी लड़कों की तरह ही खूब पढ़ाएं।
उनको उच्च शिक्षा दें। उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखें। लड़कियां ही हैं जो हमारे जीवन को आगे बढ़ाएंगी। लड़का और लड़की में कोई अंतर न कर उन्हें समान अवसर आगे बढऩे के लिए देना चाहिए।
अगर बेटी को दोगे खुला आसमान, तो वो भी बढ़ाएगी परिवार का नाम : डा. भोला
नागरिक अस्पताल के डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने बताया कि नागरिक अस्पताल में नव वर्ष पर नौ डिलीवरी हुई हैं। इनमें चार नोर्मल तथा पांच सिजेरियन हुए हैं। सभी जच्चा और बच्चा नोर्मल हैं और स्वास्थ्य अधिकारियों की देखरेख में हैं। अगर बेटी को दोगे खुला आसमान, तो वो भी बढ़ाएगी परिवार का नाम।
अगर ये सोच हर परिवार की हो जाए तो वो दिन दूर नहीं है जब भारत देश से कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई जड़ से समाप्त हो जाएगी। अगर इस बुराई को समाप्त करना है तो हर किसी को इसमें अपना योगदान देना होगा।