Kamyak Tirth, Kamauda, Kurukshetra: कुरुक्षेत्र से लगभग 15 किमी दूर कमौदा गांव में स्थित काम्यक तीर्थ न केवल एक पौराणिक तीर्थ है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी अद्वितीय है। वामन पुराण के अनुसार, यह वन सरस्वती नदी के किनारे मरुस्थल तक फैला हुआ था। काम्यक वन उन सात वनों में से एक है, जिनका उल्लेख महाभारत और पुराणों में किया गया है। वामन पुराण के अनुसार कुरुक्षेत्र की भूमि में नौ नदियाँ व सात वन थे और उन सब में पवित्र वन काम्यक वन था जोकि सरस्वती के तट के साथ मरु भूमि तक फैला हुआ था। यह वन अपने आप में आध्यात्मिक और ऐतिहासिक धरोहर है, जिसमें अदिति वन, व्यास वन, फलकी वन, सूर्य वन, मधु वन, शीत वन का भी उल्लेख मिलता है।
Kamyak Tirth, Kamauda In Puranas Scripture:
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पुराणों में काम्यक वन की महिमा के बारे में वामन पुराण में कहा गया है कि इस वन में प्रवेश करने मात्र से सभी पापों का नाश हो जाता है। इस तीर्थ को सर्वपातकनाशन भी कहा गया है यानी यह वन सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला स्थान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहाँ पर आने वाले श्रद्धालु अपने सभी कष्टों और पापों से मुक्त हो जाते हैं।इसलिए शुक्ल सप्तमी को एक विशाल मेला भी लगता है, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं भगवान से अपने पापों की मुक्ति की प्रार्थना करते हैं ।
Kamyaka forest In Mahabharata: महाभारत में काम्यक वन का उल्लेख
महाभारत के वन पर्व में काम्यक वन का खास महत्व बताया गया है। पांडवों ने वनवास के समय इस वन में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का सामना किया। यहीं Kamyaka Van में उनकी मुलाकात वेद व्यास, भगवान श्रीकृष्ण, विदुर, और मुनि आमृत्य से हुई थी। यहीं पर मृगया के दौरान द्रौपदी का अपहरण जयद्रथ ने किया था, जिसे बाद में पांडवों ने युद्ध में हराकर बंदी बनाया और फिर युधिष्ठिर की सलाह पर उसे मुक्त कर दिया। इस वन में ही द्रौपदी ने सत्यभामा को प्रतिव्रता धर्म की शिक्षा दी थी।
Kamyak Tirth, Kamauda: पवित्र तीर्थ का आध्यात्मिक महत्व
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काम्यक वन में भगवान सूर्य “पूषा” नामक विग्रह में विराजमान माने जाते हैं। इस तीर्थ पर शुक्ल सप्तमी को एक विशाल मेला भी लगता है, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। कहा जाता है कि इस दिन यहाँ स्नान करने वाले को शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त होती है। इस तीर्थ पर स्थित कामेश्वर महादेव मंदिर भी खास महत्व रखता है, जो भगवान शिव द्वारा कामदेव को भस्म करने की घटना से जुड़ा हुआ है।
Ashwatthama Trikal Sandhya At Kamyak Tirth, Kamauda : अश्वत्थामा की त्रिकाल संध्या
यहाँ की एक और मान्यता है कि महाभारत के प्रमुख योद्धा अश्वत्थामा आज भी त्रिकाल संध्या में से एक काल की संध्या यहाँ पर करते हैं। यह मान्यता इस स्थान को और भी रहस्यमय और आकर्षक बनाती है।
काम्यक वन या काम्यक तीर्थ न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे इतिहास और संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा भी है। यह तीर्थ आज भी श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और पापों से मुक्ति प्रदान करने के लिए जाना जाता है।