OPS Vs UPS : केंद्रीय वित्त विभाग द्वारा लॉन्च की गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) अब रिटायरमेंट होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत हो सकती है। Unified pension scheme सरकार द्वारा प्रस्तावित एक नई योजना है जिसके अप्रैल 2025 से लागू होने की उम्मीद है। UPS में पुरानी पेंशन स्कीम की तरह ही कुछ विशेषताएं शामिल की गई हैं, जिससे कर्मचारियों को एक स्थिर और सुनिश्चित पेंशन मिल सके।
OPS Vs UPS : आइए जानते हैं OPS, NPS और UPS में से कौन सी है बेहतर :
पुरानी पेंशन योजना (OPS): भरोसेमंद और स्थायी :
भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) एक समय बेहद लोकप्रिय और स्थिर विकल्प हुआ करती थी। इस योजना के अंतर्गत, कर्मचारियों को उनकी अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था। इसमें महंगाई भत्ता (DA) भी शामिल होता था, जिससे उनकी पेंशन हर साल बढ़ती रहती थी। सबसे खास बात यह थी कि इस योजना में कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती थी और पूरी पेंशन सरकार द्वारा वहन की जाती थी। इसके साथ ही, सामान्य भविष्य निधि (GPF) की सुविधा भी दी जाती थी, जिसमें कर्मचारियों द्वारा किए गए योगदान पर स्थिर और सुनिश्चित रिटर्न मिलता था।
लेकिन दिसंबर 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया और जनवरी 2004 से नई पेंशन योजना (NPS) की शुरुआत की गई। OPS के बंद होने के बाद कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा और इसके पुनर्स्थापन की मांग जोर पकड़ने लगी। इसके साथ ही, कई राज्य सरकारों ने इस योजना को फिर से लागू करने पर विचार भी किया।
OPS Vs UPS : नई पेंशन योजना (NPS): एक निवेश आधारित विकल्प
नई पेंशन योजना (NPS) जनवरी 2004 में लागू की गई और इसे केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया। यह योजना राज्य सरकारों के लिए वैकल्पिक थी, लेकिन अधिकांश राज्य सरकारों ने भी इसे अपनाया। निजी क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए यह योजना स्वैच्छिक रही।
NPS एक ‘निश्चित योगदान योजना’ है, जिसमें कर्मचारियों को अपनी मूल वेतन और महंगाई भत्ता (DA) का 10% योगदान करना होता है, जबकि सरकार की ओर से 14% का योगदान दिया जाता है। इस योजना में पेंशन लाभ निश्चित नहीं होता, बल्कि यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि आपका योगदान, निवेश का प्रकार, बाजार की स्थिति और निवेश से उत्पन्न आय। NPS के तहत मिलने वाली पेंशन पूरी तरह से निवेश की गई राशि और उसके रिटर्न पर आधारित होती है।
NPS के अंतर्गत, योगदान को अलग-अलग फंड मैनेजर्स के माध्यम से बाजार में निवेश किया जाता है। इसu निवेश में इक्विटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड और सरकारी बॉन्ड शामिल होते हैं, जिससे रिटर्न के साथ-साथ जोखिम भी बढ़ता है। यही कारण है कि कई कर्मचारियों में यह चिंता है कि NPS का रिटर्न पुरानी पेंशन योजना (OPS) जितनाU सुरक्षित और सुनिश्चित नहीं है। बाजार की अस्थिरता और अनिश्चितता के कारण भविष्य में मिलने वाली पेंशन में कमी आ सकती है।
OPS Vs UPS : NPS में प्रमुख समस्याएं:
1. बाजार की अस्थिरता:NPS में निवेश किए गए फंड का रिटर्न पूरी तरह से बाजार पर निर्भर होता है। इस कारण रिटर्न में अनिश्चितता रहती है और यह पुरानी पेंशन योजना जितना सुरक्षित नहीं है।
2. कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ:OPS के तहत कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती थी, जबकि NPS में कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% योगदान करना पड़ता है। इससे उनके हाथ में आने वाली शुद्ध आय में कमी आती है।
3. सामान्य भविष्य निधि (GPF) का अभाव: OPS में GPF की सुविधा होती थी, जिससे कर्मचारियों को स्थिर रिटर्न मिलता था। लेकिन NPS में ऐसी कोई सुविधा नहीं है, जिससे कर्मचारी अनिश्चितता का सामना करते हैं।
Unified पेंशन स्कीम (UPS): नई उम्मीद
इस योजना के दो प्रमुख स्तंभ हैं:
1. 50% सुनिश्चित पेंशन: UPS के तहत सेवानिवृत्ति के बाद केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को उनकी अंतिम 12 महीनों के औसतJ वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा, बशर्ते उन्होंने न्यूनतम 25 वर्षों की सेवा की हो।
2. सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन: UPS के तहत, कर्मचारी के निधन के बाद उसके परिवार को कर्मचारी की पेंशन का 60% पारिवारिक पेंशन के रूप में मिलेगा।
इसके अतिरिक्त, UPS में महंगाई राहत (Dearness Relief) की सुविधा भी दी जाएगी, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित होगी। इसके साथ ही, एक निश्चित न्यूनतम पेंशन भी निर्धारित की गई है, जो 10 वर्षों की सेवा के बाद ₹10,000 प्रति माह होगी।
UPS बनाम NPS: कौन सी योजना है बेहतर?
UPS और NPS के बीच का मुख्य अंतर यह है कि NPS में पेंशन की कोई निश्चितता नहीं होती, जबकि UPS में कर्मचारियों को 50% सुनिश्चित पेंशन दी जाएगी। NPS में जहां पेंशन पूरी तरह से बाजार पर आधारित होती है, UPS में पेंशन सुनिश्चित और स्थिर रहती है। इसके अलावा, UPS में कर्मचारियों को उनके योगदान पर स्थिर रिटर्न मिलता है, जबकि NPS में रिटर्न पूरी तरह से निवेश की गई राशि और उसके प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
UPS में GPF की भी सुविधा होगी, जिससे कर्मचारियों को एक निश्चित रिटर्न मिल सकेगा। वहीं NPS में GPF का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे यह योजना अधिक अस्थिर मानी जाती है। हालांकि, NPS में लचीले निवेश विकल्प और कर लाभ जैसे कुछ फायदे भी हैं, जो इसे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं।
पुरानी पेंशन योजना (OPS) एक स्थिर और सुनिश्चित पेंशन योजना थी, जिसमें कर्मचारियों को भविष्य की चिंता नहीं करनी पड़ती थी। लेकिन सरकार के लिए इसे लंबे समय तक वहन करना कठिन हो गया था, जिसके चलते नई पेंशन योजना (NPS) को लागू किया गया। हालांकि, NPS की अस्थिरता और बाजार पर निर्भरता के कारण इसे लेकर कई विवाद रहे हैं।
इस संदर्भ में, यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) एक संतुलित विकल्प के रूप में उभर रही है, जो पुरानी पेंशन स्कीम की स्थिरता और नई पेंशन स्कीम की आधुनिकता को जोड़ती है। UPS के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन की गारंटी मिलती है, जिससे उनकी भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
कर्मचारियों के बीच UPS की बढ़ती लोकप्रियता और इसके लाभों को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि यह योजना पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना के बीच का एक आदर्श संतुलन बन सकती है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि UPS के लागू होने के बाद कर्मचारियों की प्रतिक्रिया क्या रहती है और क्या यह योजना उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरती है।