weather modification : अब मौसम होगा आपके हाथों में! भारतीय वैज्ञानिकों की नई तकनीक से न बाढ़, न सूखा

Anita Khatkar
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weather modification : भारत के वैज्ञानिक जल्द ही ऐसा कमाल करने जा रहे हैं, जिससे न तो बारिश की अधिकता से बाढ़ का खतरा रहेगा और न ही सूखे की चिंता। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अनुसार, अगले 5 वर्षों में भारत कृत्रिम वर्षा (cloud seeding) को नियंत्रित करने और मौसम को मॉडिफाई करने की क्षमता हासिल कर लेगा। यह तकनीक भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए तैयार करेगी।

weather modification : बारिश को नियंत्रित करना होगा संभव

इस नई तकनीक के तहत वैज्ञानिक किसी विशेष क्षेत्र में बारिश को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे। 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस जैसे किसी विशेष आयोजन के दौरान बारिश हो रही हो, तो इस तकनीक की मदद से उसे रोका जा सकेगा। वहीं, किसी क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति में बारिश को नियंत्रित कर उस संकट को कम किया जा सकेगा।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, अगले पांच वर्षों में बाढ़ के समय शहरी क्षेत्रों में बारिश या ओलावृष्टि को रोका जा सकेगा। पहले कृत्रिम वर्षा रोकने और बढ़ाने पर प्रयोग किए जाएंगे, जो अगले 18 महीनों में lab simulation के जरिए किए जाएंगे।

‘मौसम GPT’ करेगा भविष्यवाणी

weather modification मिशन के तहत, वैज्ञानिक मौसम पर नियंत्रण की क्षमता विकसित करने के साथ-साथ ‘मौसम GPT’ (Mausam GPT) नाम की एप्लिकेशन भी लॉन्च करेंगे। यह एप्लिकेशन ChatGPT की तरह काम करेगा और उपयोगकर्ताओं को लिखित और ऑडियो दोनों तरह से मौसम से संबंधित जानकारी देगा। अगले पांच वर्षों में यह तकनीक पूरी तरह से विकसित हो जाएगी, जो भारत को जलवायु संकट के प्रति और अधिक तैयार बनाएगी।

weather modification: अन्य देशों में पहले से हो रहा है प्रयोग

USA, रूस,ऑस्ट्रेलिया,China, और कनाडा जैसे देशों में पहले से Cloud Seeding और क्लाउड मॉडिफिकेशन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन देशों में फसलों को नुकसान से बचाने के लिए बारिश और ओलावृष्टि को नियंत्रित किया जाता है। Cloud Sepration टेक्नोलॉजी के तहत यह काम किया जाता है, जो भारत में भी अब संभव होने जा रहा है।

Cloud separation: क्लाउड सप्रेशन पर होगा फोकस

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार भारत में weather modification की तकनीक पर बहुत अधिक काम नहीं हुआ है, लेकिन अब इसे लेकर शोध और Fundings की जरूरत है। क्लाउड सीडिंग और क्लाउड मॉडिफिकेशन पर वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे प्रयोग सीमित सफलता के बावजूद काफी महत्वपूर्ण हैं।

भारत में यह तकनीक जलवायु परिवर्तन के संकटों से निपटने में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।

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