Haryana Roadways : जींद डिपो के बेड़े में दोबारा से बसों की कमी होने लगी है। इस कारण यात्रियों को परेशानी आ रही है। रोहतक, भिवानी, कैथल समेत अंतर राज्यीय मार्गों पर सबसे ज्यादा परेशानी है, क्योंकि इन रूटों पर निजी बसें भी नहीं चलती। इसके अलावा शाम साढ़े सात बजे के बाद रोहतक, पानीपत को छोड़ किसी भी रूट के लिए बस सेवा नहीं है। नार्म के हिसाब से डिपो में 200 बसें होनी चाहिएं लेकिन डिपो में करीब 169 बसें ही आन रूट हैं।
रोडवेज का जींद डिपो टाटा से अनुबंधित है। इसमें सभी बसें टाटा की होती हैं। वर्ष 2018-19 में जब डिपो में बसों की संख्या 100 से भी कम रह गई थी तो अशोक लीलेंड कंपनी की बसों को डिपो में भिजवाया गया था, ताकि डिपो की व्यवस्था बनी रहे। अब करीब तीन महीने पहले इन अशोक लीलेंड की बीएस माडल-4 की 15 बस पलवल और 15 बसें नूहं डिपो में स्थानांतरित कर दी थी।
सोनीपत से टाटा की बीएस-3 माडल की 12 बस जींद डिपो में शामिल होनी थी लेकिन ये बसें जल्द ही कंडम हो जानी थी, इसलिए डिपो में इन 12 बसों को लेने से मना कर दिया। ऐसे में नई बसें डिपो में नहीं आने से जींद डिपो के बेड़े में 30 बसों की कमी हो गई है। बसों की कमी के कारण 14 बसों को दोहरे चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इस कारण बसों की मरम्मत को लेकर पर्याप्त समय नहीं मिल पाता और पांच से सात बस मरम्मत के लिए हर समय खड़ी रहती हैं।
इन रूटों पर पड़ रहा प्रभाव, यात्रियों को दिक्कतें
जींद से रोहतक, भिवानी, कैथल व हिसार जैसे रूटों पर पहले की अपेक्षा कम बसें चल रही हैं। रोहतक व कैथल पर पांच टाइम तो भिवानी व हिसार रूट पर दो-दो टाइम मिस चल रहे हैं। इस समय डिपो में 169 बसें ही आनरूट हैं, जिसमें किलोमीटर स्कीम की 37 बस शामिल हैं।
शाम साढ़े सात बजे के बाद जींद से रोहतक, पानीपत को छोड़ बाकी किसी भी रूट के लिए बसें नहीं मिलती। इससे यात्रियों को मजबूरी में निजी वाहनों का सहारा लेकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है। जिन रूटों पर निजी बसों की संख्या ज्यादा है, उन रूटों को छोड़ दें तो बाकी रूटों पर एक-एक घंटे तक बस सेवाएं नहीं मिल पाती।
डिपो में बढ़ाई जाए बसों की संख्या स्थायी भर्ती हों : संदीप रंगा
हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य उपप्रधान संदीप रंगा ने कहा कि डिपो से बसें स्थानांतरित होने के बाद यहां पहले की अपेक्षा बसों की संख्या कम हो गई है। ऐसे में परिवहन विभाग को चाहिए कि डिपो में बसों की संख्या बढ़ाई जाए और कर्मचारियों की स्थायी भर्ती की जाए। इससे युवाओं को स्थायी रोजगार मिल सके और यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधा का लाभ मिल सके।
जींद डिपो में टाटा से अनुबंधित बस चलती हैं। पिछले समय में डिपो में जो नई बस आई थी, उसमें कुछ बस अशोक लीलेंड की थी। लगभग तीन महीने पहले अशोक लेलैंड की बसों को दूसरे डिपो में भेजा गया था। बसों की कमी के चलते इस समय कुछ रूट पर दिक्कत चल रही है। नई बसों की डिमांड मुख्यालय भेजी हुई है। जैसे ही बस आएंगी तो यात्रियों की सुविधा अनुसार बसों का संचालन किया जाएगा।
–राहुल जैन, रोडवेज महाप्रबंधक जींद डिपो।