जींद : घरों से निकलने वाला कचरा अब आफत नहीं कमाई (Earning from garbage) का साधन बनेगा। इसके लिए जींद जिला प्रशासन द्वारा पहली पायलट परियोजना जींद जिला के उझाना खंड में शुरू की गई है। खंड में कुल 20 गांव हैं, जिनका ठोस कचरा एक जगह एकत्रित कर इसे क्रस किया जाएगा। इसके बाद इसको बेचना जाएगा। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों (Self help group) की महिलाओं को यह जिम्मा सौंपने की तैयारी है, जो इसको बेचकर कमाई कर सकेंगी।
परियोजना के तहत खंड के सभी 20 गांवों से कूड़ा एकत्रित किया जाएगा। इसके लिए खंड के ही गांव पीपलथा में कूड़ा संग्रहण एवं छंटाई प्रक्रिया की जाएगी। यहां छंटाई कर ऐसा कूड़ा (Earning from garbage) निकाला जाएगा, जिसे काट कर बारिक किया जाएगा। इसके बाद इसको बेचा जाएगा। साथ जो कूड़ा सीधा बेचा जा सकता है, वह अलग निकाला जाएगा। हालांकि प्रारंभिक चरण में यहां ग्राम पंचायत के सफाई कर्मचारियों को लगाया गया है, लेकिन भविष्य में इसको स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपने की योजना है।
Earning from garbage : 17 गांवों में तैयार हुआ शेड
खंड के सभी गांवों में कूड़ा एकत्रित करने के लिए शेड बनाए जा रहे हैं। इसके तहत 17 गांवों में शेड का निर्माण हो चुका है। गांव के सफाई कर्मचारी घर-घर से कूड़ा उठाकर इनको सार्वनजिक शेड में लाएंगे। यहां से नियमित रूप से पीपलथा यूनिट (Piplatha unit) पर भेजा जाएगा। यहां कूड़े की छंटाई कर इसकी आगे की प्रक्रिया होगी। जींद जिला के उझाना ब्लाक में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरूआत की गई है। यहां पीपलथा गांव में कूड़ा निस्तारण (Garbage disposal in Pipaltha village) के लिए प्लांट लगाया गया है। यहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायती विभाग द्वारा यूनिट लगाई है।

इसके तहत तीन प्रकार की मशीन लगाई गई हैं। पहले चरण में उझाना खंड के 20 गांवों से प्लास्टिक कचरा ला कर इसका शोधन किया जाएगा। यहां तीन प्रकार की मशीन लगाई गई हैं। पहली मशीन कचरा को साफ करेगी। इस मशीन में पूरी तरह से प्लास्टिक कचरे से मिट्टी अलग की जाएगी। इसके बाद इसको बारीक काटा जाएगा। प्लास्टिक का कचरा बुरादा के रूप में एकत्रित होगा। इसके बाद इसको गठ्ठे के रूप में तैयार किया जाएगा।
Earning from garbage : गांवों में बढ़ रहा प्लास्टिक कचरा
दरसल गांवों में प्लास्टिक का कचरा (Plastic kachra) बढ़ा रहा है। इसमें विभिन्न आकार व प्रकार की प्लास्टिक की खाली बोतल, डिस्पोजल गिलास, पालीथिन, टूटे हुए डिब्बे, खिलौने, प्लास्टिक की शीट जैसा सामान काफी निकल रहा है। हालांकि इसमें वजन बहुत ही कम होता है। ऐसे में मशीन से प्रोसेस करने के बाद यह बहुत ही कम जगह लेगा और इसको आयताकार ईंट के रूप में बनाया जाएगा। इसको रखना भी बहुत आसान होगा। इसके बाद इसे बेचना भी आसान होगा।
Earning from garbage : सैंकडों प्रकार के कचरे को कर सकते हैं प्रोसेस
स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) के कर्मचारियों ने बताया कि इसके लिए 200 से भी अधिक प्रकार के कचरे का शोधन किया जा सकता है। इसके अलावा पुराने जूते, चप्पल, बिजली के पुराने उपकरण भी प्रोसेस कर इनसे दोबारा सामान बनाया जा सकता है। फिलहाल परियोजना को सिर्फ उझाना खंड (Ujhana block) के 20 गांवों के लिए शुरू किया जा रहा है। खंड के सभी गांवों से प्लास्टिक का कचरा यहां एकत्रित किया जाएगा। हर गांव से महीने में करीब 50 किलोग्राम कचरा आने की संभावना है। यह मशीन की क्षमता के अनुसार बहुत ही कम है। एक महीने में आने वाले कचरे को मशीन कुछ ही घंटों में तैयार कर देगी। ऐसे में इसका दायरा बढाने की जरूरत है।

तीन प्रकार का है प्लास्टिक
संशोधन के लिए प्लास्टिक को तीन श्रेणियों (Three categories of plastic) में बांटा जाता है। इसमें सबसे पहले कठोर प्लास्टिक आता है। दूसरे स्थान पर एकल परत व बहुपरतीय लचीली प्लास्टिक आता है। तीसरी श्रेणी में बहु-स्तरीय प्लास्टिक आता है। इसको गुणवत्ता के आधार पर ही अलग-अलग रूप से तैयार किया जाता है। इसके आधार पर ही ग्रेडिंग तय की जाती है और इसकी कीमत भी उसी अनुरूप मिलती है।
ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को दिया गया प्रशिक्षण
खंड समन्वयक जयपाल ढोबी के अनुसार ग्राम पंचायत पीपलथा में इसके लिए यूनिट लगाई है। जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. किरण सिंह के आदेशानुसार इस यूनिट को शुरू किया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें मशीन की कार्यप्रणाली समझाई गई। सभी ग्राम पंचायतों मे ठोस कचरा प्रबंधन शैड का निर्माण किया गया है। इन गांवों में घर-घर से कचरा उठाने व इसकी छंटाई की व्यवस्था की गई है। यहां से छंटाई के बाद इसे पीपलथा स्थित यूनिट में पहुंचाया जाएगा। कार्य को स्वयं सहायता समूह ग्रुप द्वारा किया जाएगा।
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