Trauma centre : जींद समेत NCR के 14 जिलों में बनेंगे ट्रामा सेंटर, खरीदे जाएंगे उपकरण, 26.30 करोड़ का बजट जारी

Sonia kundu
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News Kunj : हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार द्वारा नेशनल हाईवे के आसपास ट्रामा सेंटर (Trauma centre) बनाने की योजना है, ताकि दुर्घटना के बाद घायलों को तुरंत उपचार मिल सके। स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक द्वारा NCR में आने वाले जिलों के अस्पतालों में ट्रामा सेंटर और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए उपकरण मुहैया करवाने को लेकर 26 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है।

जींद, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, नारनौल, पानीपत, सोनीपत समेत 14 जिलों (NCR) में ट्रामा सेंटर स्थापित करने की योजना है। पिछले दिनों चंडीगढ़ में हुई स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक में प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया था कि जिन जिलों से नेशनल हाईवे गुजरते हैं। उन सभी जिलों के अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।

हाईवे पर होने वाले हादसों में समय पर उपचार की सुविधा नहीं मिलने के कारण अक्सर लोगों की जान चली जाती है। हाईवे पर दुर्घटना होने के बाद घायल को पहले जिला अस्पताल में दाखिल करवाया जाता है। गंभीर हालत होने पर उन्हें PGI रेफर किया जाता है। इस दौरान कभी अधिक खून बहने तो कभी सिर में या शरीर के अंदर खून फैलने, जम जाने के कारण मरीज की जान चली जाती है।

Trauma center: Trauma centers to be built in 14 districts of Jind NCR, equipment budget 26.30 crores
Trauma center: Trauma centers to be built in 14 districts of Jind NCR, equipment budget 26.30 crores

ट्रामा सेंटर (Trauma centre) में आधुनिक उपकरण और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे मरीज की जान बचाने के चांस ज्यादा रहेंगे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में उपचार के लिए जरूरत के उपकरण खरीदने, मरम्मत, लैब के उपकरण व ब्लड बैंक में जरूरत की सामग्री खरीदने के लिए 26 करोड़ 30 लाख रुपए का बजट जारी किया गया है।

30 मार्च तक सभी जिलों को उपकरण खरीदने होंगे और इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। जब तक नेशनल हाईवे या दूसरी जरूरत की जगह ट्रामा सेंटर नहीं बन जाता, तब तक ये उपकरण सिविल अस्पताल में रहेंगे।

Trauma centre के लिए इन जिलों को इतना मिला बजट

जिले का नाम       -राशि
भिवानी                  27.57 लाख
चरखी दादरी          58.33 लाख
फरीदाबाद             5.64 करोड़
गुरुग्राम                 3.33 करोड़
झज्जर                   1.60 करोड़
जींद                      9.35 लाख

करनाल                2.92 करोड़
नारनौल                1.64 करोड़
नूंह                      4.55 करोड़
पलवल                60.15 लाख
पानीपत              1.88 करोड़
रेवाड़ी                79.20 लाख
रोहतक              1.48 लाख
सोनीपत            88.50 लाख
(नोट : यह राशि स्वास्थ्य उपकरण सामग्री खरीदने की है। ट्रामा सेंटर बनाने का बजट अलग से होगा।)

आम लोगों को ट्रामा सेंटर (Trauma centre) से ये होगा फायदा

प्रदेश भर में नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे का जाल बिछा हुआ है। ग्रीनफील्ड हाईवे से लेकर नेशनल हाईवे 152-डी, कटरा-दिल्ली एक्सप्रेस वे जैसे हाईवे प्रदेश के ज्यादातर जिलों को कवर कर रहे हैं और ये हाईवे मुख्य शहरों से दूर खेतों से होकर गुजर रहे हैं।

हाईवे पर एक्सीडेंट होने की स्थिति में घायलों को मुख्य अस्पताल तक लाने में आधा घंटा लग जाता है। इस दौरान मरीजों की जान भी चली जाती है। हाईवे के आसपास ट्रामा सेंटर की सुविधा होगी तो उन्हें पांच से 10 मिनट में उपचार की सुविधा मिल जाएगी, जिससे घायल की जान बचाने में मदद मिलेगी।

क्या सुविधा मिलेगी ट्रामा सेंटर (Trauma centre jind) में
ट्रामा सेंटर में गंभीर चोटों के उपचार के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी होंगे। यहां 24 घंटे उपचार की सुविधा मिलेगी। घायलों को तुरंत व प्रभावी तरीके से इलाज मिलेगा। इससे मौत और विकलांगता की संभावना कम होगी। यहां सामान्य ओपीडी नहीं होती, केवल एमरजेंसी ट्रीटमेंट ही मिलता है। ट्रामा सेंटर में गंभीर चोटों के इलाज के लिए स्पेशल संसाधन होते हैं। खून की उपलब्धता रहती है।

क्यों जरूरी हैं ट्रामा सेंटर (Trauma centre)
करीब एक माह पहले नारनौल से चंडीगढ़ हाईवे 152-डी पर पिल्लूखेड़ा के पास ट्रक के पीछे कार जा घुसी। राजस्थान का रामकिशोर अपने परिवार हरिद्वार जा रहा था। इसमें चालक की मौके पर ही मौत हो गई लेकिन उसकी दो बुआ और पत्नी तथा बच्चे को उपचार के लिए दुर्घटनास्थल से 18 किलोमीटर दूर जींद सिविल अस्पताल में लाया गया।

यहां लाते समय रास्ते में उसकी बुआ की मौत हो गई। रामकिशोर की दूसरी बुआ को जींद के सिविल अस्पताल से रोहतक पीजीआई रेफर किया गया लेकिन वहां पहुंचते समय उसकी दूसरी बुआ की भी मौत हो गई। अगर जींद में ट्रामा सेंटर होता और उन्हें तुरंत उपचार मिल जाता तो बुआ की जान बचाई भी जा सकती थी।

जींद में सिविल अस्पताल (Jind civil hospital) के डिप्टी सिविल सर्जन और नोडल अधिकारी डा. रमेश पांचाल (Dr Ramesh Panchal) ने बताया कि एनसीआर के 14 जिलों में ट्रामा सेंटर खोलने की सरकार की योजना है। ट्रामा सेंटर में आधुनिक और स्पेशल इन्सट्रूमेंट की खरीद के लिए बजट जारी किया गया है। 31 मार्च तक उपकरण खरीद की जानकारी मुख्यालय को देनी होगी।

 

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